May 12, 2013

दिल : मेरी मंजिले तेरी ख्वाहिशों से मेल नहीं खाती


तुझे ऐ दिल
कहाँ तक साथ दूँ मैं
तुझे तो इल्म होगा
अब जीने के लिए
दिल गैर जरूरी है
मेरी मंजिले
तेरी ख्वाहिशों से मेल नहीं खाती
अब भूखे बच्चों को देख
तेज़ धड़कना छोड़ दे

September 2, 2012

समर्पित स्त्री को

तुम नर्म सा अहसास हो
तुम दूर हो तुम पास हो
तुमसे कहती है फिजायें, 
तुम रहो के कोई साज़ हो 
तुम समंदर की तरह 
शांत हो, उफान भी
तुम धड़कनों में कभी,
गुमनाम हो, कभी गान भी
तुम  किसी पर्वत की सी 
स्थिर रहो तुम मत झुको
तुम किसी झरने कि तरह 
गिर पड़ो तुम मत रुको
तुम किसी आंगन में 
तुलसी कि तरह भी मत उगो 
तुम फुल बनकर के खिलो 
तुम शूल बनकर के चुभो
तुम किसी फनकार का 
कोई फ़न बनकर मत रहो
तुम किसी के गीत में भी
शब्द बनकर मत ढलो
तुम अभिव्यक्ति हो,
तुम अर्थ हो,
तुम स्वयं का विस्तार हो
तुम केवल नेपथ्य से आती
कोई चीत्कार नहीं,
तुम रंगमंच पर उपस्थित 
खुद भी एक किरदार हो

July 27, 2010

सुकून का अहसास खोता जा रहा हु












तेज़ चलना आज के दौर कि जरुरत बन गयी है 
मै लाख चाहकर भी 
सुकून भरा एक पल नहीं जी पा  रहा
मै चाहता हु के मै कुछ न सोचु 
कुछ न बोलू 
मुझे फ़िज़ूल चिंताए न हो
के मै बेफिक्री से बरसते पानी को निहार लू कुछ देर 
के मै दूर क्षितिज तक देखता रहू, जहाँ कुछ भी न हो
पर ऐसा नहीं होता है
कुछ उधेड़बुन दिमाग करते रहता है
शायद ऐसी ही है आज कि जरुरत 
सुकून का अहसास खोता जा रहा हु

December 14, 2009

सुबह का भूला

कहते है
सुबह का भूला
शाम को घर अवश्य लौटता है
मगर शाम को
वो जगहे नहीं मिलती
जहाँ सुबह का भूला लौट सके||

December 7, 2009

मन

मन के समंदर में भी 
आते है ज्वार 
जो बहा ले जाते है, विचारों को,
किनारों से,
और ये विचार 
चांदनी रात में शीतल होते है, 
सुबह कि नर्म धुप में 
पल्लवित होते है,
लहरों पर अठखेलियाँ करते 
ये विचार, 
जन्म देते है
भावनाओ को 
जो पैठ कर जाती है
मन के समंदर में 
गहराई तक 
और शायद एक हिस्सा बन जाती है ये भावनाये
फिर समंदर लाख चाहे 
तब भी किसी तूफ़ान के ज़रिये 
वापस नहीं कर सकता 
वो इन
भावनाओ को
तोड़कर विचारों में 
समंदर दफ़्न कर लेता है
किसी टूटे जहाज कि तरह इन्हें 
पर वक़्त नहीं थमता
और समंदर कि छाती कुरेदते रहते है
गोताखोर,
समय समय पर...

तेरा ख़याल

तेरे ख़याल के कई नक्श
मेरे दिल में उभरते है
कभी संवरते है ये
कभी टूट कर बिखरते है

तेरा साथ

तू राह है,
तुझसे गुज़र जाना है
तेरी छांव में बस सर टिकाना है
तू बदलियाँ है धूप के इस घने सहरा में
तेरी ठंडक को कुछ दूर
तक बस और पाना है

September 8, 2009

आरजू

ये दिल--परेशां की आरजू है फकत दिल में
तेरी रहगुज़र से होकर मेरे दिल को चैन आये

तेरी अंजुमन में आक़र कोई बहार फ़िर न गुज़रे
तेरे फस्ले-ऐ-गुल की कोई शाख मुझ पर छाये

मेरे दिल की धड़कनों की तन्हाईयों का आलम
तेरी पायलों की छनछन कुछ पल को ठहर जाये

पागल है , नादान है, हर बार धड़कता है
तेरी छूअन से होकर कोई झौंका जो गुज़र जाये

तेरा वजूद दिल में एक बेजुबान बुत है
कोई रहमो-रसूल दिल तक तेरी रूह छोड़ जाये

April 24, 2009

आपके ख़याल से महकती है ये नज़्मे मेरी

आपके ख़याल से महकती है ये नज़्मे मेरी
आपके तसव्वुर में हर रात ग़ज़ल होती है

कभी लफ़्जों में बहकती है ये हसरत मेरी
कभी धड़कन की तरह सीने में दफ़्न होती है

आप चली जाती है नज़रों से मेरी
आपके अहसास की सुकून-ऐ-शफ़क रहती है

हर शक्स की नज़रे मेरी बेचैनियों पर है
मेरे ज़ब्त की अब कोई सूरत नही होती है

April 2, 2009

मै नज़र तुम्हारी देखूंगा

तुम भूले बिसरे यारों को,
अब कैसे याद करूँगा मै

मंज़र होगा तन्हाई का,
मेलों में याद करूँगा मै

कुछ किस्सों की, कुछ बातों की,
अब किससे बात करूँगा मै

तुम अपने अतीत की यादों में,
मुझको देखोगे रातो में

मै नज़र तुम्हारी देखूंगा,
एक गरज तुम्हारी देखूंगा

एक याद तुम्हारी आयेगी,
कुछ आसों से समझाऊंगा

मै एक दिन तुममे जियूँगा,
इन बातों से समझाऊंगा

कल नई सुबह एक आयेगी,
कुछ नई किरणे वो लाएगी

एक अस्त हुआ सूरज लेकिन,
क्या कुछ किरणों से जीता है

एक मुरझाया सा फूल कभी,
क्या पानी पीकर खिलता है

ये प्रश्न मै ख़ुद से पूछूँगा,
फ़िर एक पल को मै सोचूंगा

साहिल पर बने घरोदों का,
जीवन कुछ पल ही होता है

सब किस्सों का , सब बातों का,
अंत तो एक दिन होता है

व्यथित ह्रदय होकर के मै इन
सपनो के टुकड़े कर दूंगा

दुःख से भरी इन आँखों से भी
सपनो के मोती झर दुगा

तह करके तकिये की नीचे,
मेरे ये सपने रख लेना

मेरे इन अरमानों को,
पलकों में संजो कर रख लेना

मै नज़र तुम्हारी देखूंगा
मै गरज तुम्हारी देखूंगा

अब गुज़र रहा हूँ मै

एक अरसा हुआ तुझसे मिले
तेरी राह तक रहा हु मै

जाने क्यूँ ऐसा लगा की
अब गुज़र रहा हु मै

हर सहर से हर शाम तक
हर पल बिखर रहा हूँ मै

तेरी जुल्फ के उन अंधेरों में
अब तक भटक रहा हु मै

किसी मोड़ से एक मोड़ तक
तेरा हमसफ़र रहा हु मै

मेरी ज़िन्दगी गुज़र गई
के अब गुज़र रहा हूँ मै

ek arsa hua tujhase mile
teri raah tak raha hoon main

jane kyun aisa laga
ke ab guzar raha hoon main

har sahar se har shaam tak
har pal bikhar raha hoon main

tiri zulf ke unn andheron me
ab tak bhatak raha hoon main

kisi mod se ek mod tak
tera hamsafar raha hoon mai

meri zindagi guzar gayi
ke abb guzar raha hoon main

उसका चेहरा आफताब था

"उसका चेहरा आफ़ताब था
मेरी आँखों को चौंधिया गया
उसने चाह था रौशन करेगा मुझे
मेरी रूह तक जला गया"

"uska chEhra aaFtAab tha
meri aNKhon ko choUNdhiya gaya
usne chaha tha rOuSHan karega mujhe
meri rOOh tAk jala gaya."

किसी राज सी वह

"किसी सुनी डगर की पदचाप सी वह
मेरे अंतर से उमड़ती है चुपचाप सी वह
किसी अनकही पर अंचल ओढाये
अपने में संभालती है
किसी राज़ सी वह"

"kisi suni dagar ki
padchaap si wah
mere antar se umadati hai
chupchaap si wah
kisi ankahi par aanchal odhaye
apne me sambhalti hai
kisi raj si wah"

ये गुंजाइश के पहलु मिटाने लगा हूँ

दिल की आवाज़ को जबसे सुनने लगा हूँ
दायरे से अपने निकलने लगा हूँ

तेरा अक्स है बस तेरा अक्स है
ये दुनिया के परदे झुठाने लगा हूँ

मेरी जां को बमुश्किल मिली है हसीं
हसीं के ये टुकड़े सजाने लगा हूँ

अभी शोला बन के भड़क जाऊंगा
मै हवाओं के रास्ते बनाने लगा हूँ

कभी तो तू है भी, कभी तू नही भी
ये गुंजाइश के पहलु मिटने लगा हूँ

Dil ki Awaz Ko jabse sunne laga hoon
Dayre se Apne nikalne laga hoon

Tera Aks ha bas Tera Aks hai
ye duniya ke parde Jhuthane laga hoon

meri jaa(n) ko bamushkil mili hai hansi
hasi(n) ke ye tukde sajane laga hoon

Abhi shola ban ke bhadak jaunga
mai hanwaon ke raste banane laga hoon

Kabhi to tu hai bhi kabhi tu nahi bhi
ye gunjaish ke pahlu mitane laga hoon